मोतिहारी/सोहराब आलम
मोतिहारी के सुगौली,सिकरहना नदी पर बांध निर्माण कार्य तेजी से कराया जा रहा है। जो कि 70 के दशक में बिहार सरकार द्वारा बांध निर्माण क्षेत्र में आने वाली जमीन के मालिकों को उनके जमीन के मुआवजे का भुगतान कर दिया गया था। चुकि सरकार ने मुआवजा 70 के दशक में जमीन मालिकों को भुगतान की थी। जिसके बाद करीब पांच दशक से अधिक तक अधिगृहित जमीन पर बांध निर्माण का कार्य नहीं कराया गया। इस बीच लंबे अंतराल के कारण कई लोगों ने जिनकी जमीन सरकार ने बांध निर्माण के लिए ले लिया था। उन लोगों में से कई ने वहीं जमीन दुसरे लोगों के हांथ पुण: ऊंची कीमतों पर बेच दिया था। जिस पर कई लोगों ने छतदार बहुमंजिला माकान बनवाकर रह रहें थें। अब जब निर्माण कार्य शुरू हुआ है तब उस जमीन पर रह रहे लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी है। अब वे अपने आशियाना तलाशने में जुटे हुए हैं। यह जमीन हर कीमत पर उन्हें खाली करना पड़ रहा है। पूर्वी चम्पारण जिला के सीमा स्थित गांव विशुनपुरवा से सुगौली से होते हुए बजरिया से चिरैया तक जाएंगी। वहीं कार्य क्षेत्र लगभग लंबाई 56 किलोमीटर से अधिक बनेगी। इसमें से 29 किलोमीटर पश्चिम चंपारण जिले के चनपटिया की ओर से पूर्वी चंपारण जिला के सीमावर्ती गांव विशुनपुरवा तक है।और विशुनपुरवा से 27 किलोमीटर मोतिहारी की ओर बनेंगी। जल संसाधन विभाग के एग्जिक्यूटिव सुप्रीटेंडेंट आलोक कुमार ने बताया कि बांध की निचे की चौड़ाई 125 फीट से अधिक होगी। इसकी ऊंचाई 20 फीट होगी और बांध के ऊपरी सतह की चौड़ाई करीब 25 फीट होगी। उन्होंने बताया कि बांध निर्माण कार्य वर्ष 2025 में ही दिसंबर तक पुरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पर निर्माण कार्य के शुरुआती दौर में क़रीब दो महीने से अधिक स्थानीय विवाद और समस्याओं के चलते बांध निर्माण कार्य में लगातार रुकावट रहीं। जिसे अब निपट लिया गया है। पर अब कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। जो नगर पंचायत के वार्ड 1 के विशुनपुरवा की ओर से बेलैठ सरेह होते हुए निमूई के करीब पहुंच चुका है। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य में सबसे ज्यादा मिट्टी की समस्या आ रही है। जिसके समाधान को लेकर सरकार के अन्य विभागों से मिट्टी लेने का सहयोग लिया जा रहा है।