पूर्णियां/मलय कुमार झा
पूर्णियां विश्वविद्यालय के साल 2023 के पीएचडी एडमिशन टेस्ट पैट का परिणाम आने बाद छात्र इस पर सवाल उठा रहे हैं और हर दिन बवाल मच रहा है।
लगातार इस मसले पर छात्रों और विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच विवाद हो रहा है।
बताया जा रहा है कि पैंट का पहला रिजल्ट 11 दिसंबर 2024 को जारी हुआ था। इसमें 185 छात्र सफल हुए थे। तत्कालीन कुलपति की उपस्थिति में यह रिजल्ट घोषित किया गया था। 8 मार्च को फाइनल लिस्ट प्रकाशित हुआ था। इसके बाद छात्र नामांकन को लेकर उत्साहित थे। लेकिन इसी बीच विश्वविद्यालय प्रबंधन ने परिणाम सस्पेंड कर दिया। एडमिशन को लेकर छात्रों ने कुलपति प्रोफेसर विवेकानंद सिंह और कुलसचिव प्रोफेसर अनंत प्रसाद गुप्ता से मुलाकात कर नामांकन तिथि घोषित किये जाने की मांग की। इस पर जब किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर छात्रों ने 24 अप्रैल को विश्वविद्यालय गेट के मुख्य द्वार पर भूख हड़ताल शुरू कर दिया। दो दिनों तक छात्र दिन रात वहीं डटे रहे। अंत में कुलपति ने दस दिन में तिथि घोषित करने का आश्वासन दिया तब जाकर छात्र हड़ताल खत्म होने पर राजी हुए। अब इस मामले में नया मोड़ तब आया जब पूर्व में जारी परिणाम को रद्द कर 10 मई 2025 को नया रिजल्ट जारी कर दिया गया। इसमें 187 छात्र सफल घोषित किये गये हैं। वहीं
पुराने घोषित रिजल्ट में 76 छात्र फेल हो गये। 8 मार्च को जारी पहली सूची में हिंदी के छात्र दानिश दसवें स्थान पर पर थे जबकि अंग्रेजी की छात्रा एकता पांचवें स्थान पर थी अब जो नयी सूची जारी की गई है उसमें नयी मेधा सूची में दोनों को फेल घोषित कर दिया गया है। मैथिली, अर्थशास्त्र, फिजिक्स, पालिटिकल साइंस, केमिस्ट्री, उर्दू, जियोलाॅजी सहित अन्य विषय के छात्र छात्रा शामिल हैं। इसके बाद से छात्रों में काफी आक्रोश है। इस पूरे प्रकरण पर पूर्णियां विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विवेकानंद सिंह ने कहा कि उनके पदभार ग्रहण करने से पहले ही पैट 2023 का लिखित परिणाम घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि रिजल्ट परीक्षा बोर्ड को भेजा जाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मेधा सूची को ही फाइनल लिस्ट मानते हुए प्रकाशित कर दिया गया। इसमें रोस्टर का सही से पालन नहीं किया गया। इसके बाद जांच कमिटि का गठन किया गया। वीसी ने कहा कि जांच कमिटि में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक डॉ ए के पांडे ने नियमानुकूल काम नहीं किये। इस प्रकरण के बाद डॉ पांडे को परीक्षा नियंत्रक पद से हटाकर किशनगंज तबादला कर दिया गया। तत्पश्चात पीएचडी एडमिशन टेस्ट का पुनर्मूल्यांकन हुआ और नयी मेधा सूची जारी की गई। फिलहाल छात्र अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि मेधा सूची में गड़बड़ी की गई है छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है और इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जिम्मेदार हैं।