नालंदा/मिथुन कुमार
नालंदा जिले के बिहार शरीफ में 7 मई से शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा का समापन 2 जून को देर रात भक्ति और सौहार्द के माहौल में हुआ। कथा के अंतिम दिन श्रोता देर रात तक भक्ति रस में डूबे रहे।
जहां एक ओर देशभर में बकरीद को लेकर सियासी हलचल देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर ज्ञान की धरती बिहार शरीफ में सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल तब देखने को मिली जब श्रीमद् भागवत कथा में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी सहभागी बने। कथा के मंच पर गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक उस समय देखने को मिली जब राजद नेत्री आयशा फातिमा, समाजसेवी यासिर इमाम समेत कई मुस्लिम समुदाय के लोग कथा स्थल पर पहुंचे।कथावाचक श्याम शुभम जी महाराज ने मुख्य सहयोगी अरविंद कुमार सिन्हा समेत सभी अतिथियों को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। लगभग आधे घंटे तक सभी ने श्रद्धा से श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया। इस अवसर पर राजद नेत्री आयशा फातिमा ने कहा भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और एक-दूसरे के धर्म और भावनाओं का सम्मान करते हैं। यहां सभी त्योहार मिलकर मनाए जाते हैं। सनातन धर्म हमेशा इंसानियत और एकता की बात करता है। मैं भी सनातन धर्म का सम्मान करती हूं। भारत की विविधता ही हमारी सबसे बड़ी पहचान है। धर्म केवल आस्था नहीं, हमारी तहज़ीब और परवरिश का हिस्सा है। इस अवसर ने यह साबित कर दिया कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में एकता है, जहां हर धर्म का सम्मान और सहयोग ही समाज को मजबूत बनाता है।