भेलावर स्वास्थ्य उपकेंद्र बना उपेक्षा का प्रतीक, महीनों से लटका है ताला – मरीज लौटने को मजबूर

स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था पर उठे सवाल, सिविल सर्जन ने भी झाड़ा पल्ला

जहानाबाद/संतोष कुमार

जहानाबाद बिहार सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत एक बार फिर उजागर हुई है। जहानाबाद जिले के काको प्रखंड अंतर्गत ग्राम भेलावर स्थित सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्र महीनों से बंद पड़ा है। भवन के मुख्य द्वार पर ताला जड़ा हुआ है और परिसर में उगी घासफूस इस बात की गवाही देती है कि यहां स्वास्थ्य सेवा की कोई हलचल नहीं रही है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे लगातार स्वास्थ्य उपकेंद्र पर दवा या इलाज के लिए आते हैं, लेकिन हर बार बंद ताला देखकर मायूस लौट जाते हैं। एक ग्रामीण ने कटाक्ष करते हुए कहा, “घास देख ऐसा लगता है जैसे वही बिहार सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था का मखौल उड़ा रहा हो।”
और भी चौंकाने वाली बात यह है कि जब इस संबंध में संवाददाता ने जहानाबाद के सिविल सर्जन डॉ. देवेंद्र प्रसाद से पूछताछ की, तो उन्होंने किसी भी जानकारी से इनकार कर दिया। यह स्थिति तब है जब जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की निगरानी का दायित्व स्वयं सिविल सर्जन पर होता है। उनकी अनभिज्ञता स्वास्थ्य विभाग की लापरवाह कार्यशैली को उजागर करती है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि उपकेंद्र में पदस्थापित स्वास्थ्यकर्मी घर बैठे वेतन उठा रहे हैं, और वहीं दूसरी ओर आम जनता को मामूली स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित रहना पड़ रहा है।
इस गंभीर उपेक्षा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
कब खुलेगा भेलावर स्वास्थ्य उपकेंद्र का ताला?
क्या सरकार वाकई प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर है?
जिम्मेदार पदाधिकारी क्यों नहीं लेते जवाबदेही?
राज्य सरकार भले ही स्वास्थ्य सुधार के बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। यह उपकेंद्र सिर्फ एक उदाहरण है, ऐसे न जाने कितने उपकेंद्र राज्यभर में निष्क्रिय पड़े हैं।
अब देखना यह है कि क्या संबंधित विभाग और प्रशासन इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देंगे, या फिर यह ताला ऐसे ही बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का प्रतीक बनकर लटका रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Our Associates

Prediction: Bihar assembly election 2025