बिहार में अजब हाल! जहानाबाद में लगभग 100 करोड़ की सड़क के बीचो-बीच खड़े हैं पेड़, हादसों को दे रहे दावत

जहानाबाद/संतोष कुमार

 

जहानाबाद, बिहार के जहानाबाद जिले में पटना-गया मुख्य सड़क पर इन दिनों अजीब लेकिन खतरनाक नजारा देखने को मिल रहा है। लगभग100 करोड़ रुपये की लागत से बनी नई चौड़ी सड़क पर जगह-जगह दर्जनों पेड़ बीचो-बीच खड़े हैं। ये पेड़ अब आम लोगों के लिए ‘हरी मौत’ जैसे बन चुके हैं।यह नजारा एरकी पावर ग्रिड के आसपास पटना-गया रोड पर साफ देखा जा सकता है। सड़क निर्माण और डामरीकरण का काम तो तेजी से पूरा कर लिया गया, लेकिन बीच सड़क खड़े पेड़ हादसों को खुलेआम न्योता दे रहे हैं।वन विभाग और प्रशासन की तनातनी बनी वजह जानकारी के मुताबिक, सड़क चौड़ीकरण के दौरान वन विभाग और जिला प्रशासन के बीच पेड़ों की कटाई को लेकर विवाद हो गया। वन विभाग ने पेड़ काटने के बदले 14 हेक्टेयर भूमि पर नए पौधे लगाने की शर्त रखी, जिसे जिला प्रशासन पूरा नहीं कर सका। नतीजा यह हुआ कि निर्माण एजेंसी ने पेड़ों को सड़क के बीच छोड़ते हुए उनके चारों ओर से सड़क बना दी।हर दिन जान जोखिम में डाल रहे वाहन चालक
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क तो चौड़ी हो गई, किनारे भी खूबसूरत बना दिए गए, लेकिन बीच सड़क पर खड़े पेड़ जानलेवा खतरे बने हुए हैं। यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन अब तक बेखबर बना बैठा है।एक राहगीर ने कहा — “जब सड़क के बीच पेड़ है तो हादसा होना तय है। पता नहीं प्रशासन किस हादसे का इंतजार कर रहा है।”सवालों के घेरे में प्रशासन और सरकारी तंत्र सड़क तो बना दी गई, मगर सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर दी गई। सवाल यह है कि यदि किसी की जान इन पेड़ों से टकराकर चली जाती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या प्रशासन? या निर्माण एजेंसी? या वन विभाग?‘पेड़ हटे बिना चौड़ी सड़क किस काम की?’लोगों का कहना है कि अगर सरकारी विभागों के बीच आपसी सामंजस्य नहीं है तो फिर जनता इसकी कीमत क्यों चुकाए? क्या 100 करोड़ की लागत से बनी सड़क यूं ही खतरनाक बनी रहेगी?

अब सवाल उठना लाजमी है:

क्या जिला प्रशासन और वन विभाग की लड़ाई का खामियाजा जनता भुगतेगी?
सड़क के बीच पेड़ छोड़ देना क्या लापरवाही नहीं, सीधे तौर पर जान जोखिम में डालना नहीं है?
यदि पेड़ हटाना मुमकिन नहीं था, तो सड़क का डिज़ाइन फिर क्यों पास किया गया?
सरकार कब जागेगी?
फिलहाल सड़क बनकर तैयार है, लेकिन यह सड़क सुविधा नहीं, खतरे का रास्ता बन गई है। अब देखना होगा कि जिम्मेदार विभाग कब जागते हैं और आम जनता को इस खतरनाक हालात से कब निजात मिलती है।

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