थाना पर ले जाकर ब्राह्मण चालक को थूक भी चटवाई, विधायक के पहल पर थानेदार निलंबित
शेखपुरा/धीरज सिन्हा
शेखपुरा. जिले के मेहुस थानाध्यक्ष का एक अमानवीय चेहरा सामने आने के बाद शेखपुरा पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है. दरसल बुलेट पर सवार थानेदार ने एक ऑटो चालक को बेरहमी से पिटा है. ऑटो चालक का अकसूर बस इतना था की उसने थानेदार की बाइक को साइड नही दिया था. घटना कल देर शाम की है.
जब ऑटो चालक मेहुँस गांव निवासी अजय मिश्रा के पुत्र प्रदूमन कुमार शेखपुरा से अपने पैसेंजर को ऑटो से उतारकर वापस मेहुँस अपने गांव जा रहे थे और रास्ते में वारिश हो रही थी. थानाध्यक्ष मेहुँस थाना में तैनात थानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दीवाकर भी उसी रास्ते से अपने थाना पर जा रहे थे की रास्ते में थानेदार ने बाइक की हॉर्न बजाकर ऑटो से साइड मांगा जब ऑटो चालक ने साइड नही दिया तब थानेदार आग बबूला हो गया. और रास्ते में ऑटो रुकबाकर उसकी डंडे से पिटाई कर दी. इससे भी जब थानेदार का मन नही भरा तो थानेदार ने ऑटो चालक प्रदूमन को अपने साथ थाना ले गए और वहां भी लेजाकर उसकी पिटाई कर दी गई. यही नही थानेदार ने ऑटो चालक से उसकी जाती पूछी जब ऑटो चालक प्रदूमन ने अपने जाती ब्रह्मण बताई तो थानेदार ने कहा की हम ब्रह्मण से नफरत करते हैं और फिर पिटाई के बाद उससे थूक भी चटवाई और उसे छोड़ दिया गया. यह मामला जब स्थानीय बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार के पास पहुंचा तब विधायक ने मामले पर संज्ञान लिया और पीड़ित को लेकर एसपी बलिराम कुमार चौधरी के समक्ष पहुंचे और कार्रवाई की मांग किया. एसपी ने तुरंत जांच का आदेश एसडीपीओ डॉक्टर राकेश कुमार को दिया. जिसके बाद एसडीपीओ ने जब मामले का जांच किया तो मारपीट की घटना सही पाई गई. तत्काल एसपी ने कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष मेहुँस प्रवीण चंद्र दिवाकर को निलंबित कर दिया गया और उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया. इस संबंध में जब पीड़ित से पूछ-ताछ किया गया तो उसने बताया की थानाध्यक्ष शराब के नशे में धुत थे और मेरे साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया.
जिसके बाद पीड़ित का इलाज सदर अस्पताल में कराया गया. हालांकि एक मीडिया चैनल में जदयू के वर्तमान विधायक सुदर्शन कुमार ने कबुल किया है की थानाध्यक्ष शराब का सेवन करते हैं. और घटना बाले दिन भी शराब के नशे में थे. ऐसे में सवाल यह उठता है. की बिहार में शराबबंदी है तो फिर थानेदार शराब लाकर कहां से पी रहे हैं ऐसे में सुशासन बाबू की सरकार की पुलिस ही जब ऐसी करतूत कर रही है तो आम जनता क्या करेगी. बहरहाल पीड़ित पक्ष और उनके गांव के लोगों ने थानाध्यक्ष के निलंबन की प्रक्रिया से संतुष्ट नही है पीड़िता ने मांग किया है की उन्हें चयन मुक्त कर उन्हें जेल भेजा जाय तभी वास्तविक रूप से उनको न्याय मिल पाएगा. अब देखना यह लाजमी होगा की बिहार पुलिस के आईजी और डीआईजी के अलावे एसपी इस मसले पर कितना काम कर पाते है. क्या थानाध्यक्ष का यह अमानवीय चेहरा सिर्फ निलंबन की प्रक्रिया तक ही सिमट कर जायगा या उन्हें चयन मुक्त कर दिया जायगा बड़ा सवाल है. बहरहाल इस संबंध में निलंबित थानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दिवाकर से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने डंडे से मारने की बात को स्वीकार किया है. जबकि जाती सूचक शब्द और थूक चटवाने की बात को सरे से खारिज कर दिया है. मेहुँस के निलंबित थानाध्यक्ष ने अपने ऊपर लगे आरोप को राजनीति का शिकार होने की बात कही है।जैसा कि आप उपरोक्त वीडियो में देख रहे है कि थाना प्रभारी का बॉडी लैंग्वेज बता रहा है कि उसको अपने किये का जरा भी अफसोस नही है।अब सवाल ये उठता है कि जंहा से सांसद सवर्ण हो विधायक सवर्ण हो क्या वैसे जगहों पे भी ब्राह्मण को न्याय मिलने की संभावना नगण्य है या करवाई के नाम पे लाइन हाजिर कर के 2 दिन में दूसरा थाना दे के वंहा आरोपी वर्दी वाले गुंडे को गुंडागर्दी करने का लाइसेंस दे दिया जाएगा।जरा सोचबाक देखिए क्या ऐसे अधिकारी को चुनावी कार्य मे लगा के निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद की जा सकती है ?क्या इनके अंदर आने वाले थाने में ब्राह्मणों को न्याय मिल सकता है जंहा आज सम्पूर्ण भारत मे ब्राह्मण हासिये पे है उस परिस्थिति में न्याय की कितनी उम्मीद की जा सकती है।