ठाकुरगंज के पथरिया पंचायत में पुल निर्माण के नाम पर नंदी से अवैध बालू-मिट्टी कटाई,ग्रामीणों में आक्रोश।

ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई गुहार, नदी कटाव से पुल व गांव पर मंडरा रहा खतरा

किशनगंज/ शशि कुमकर

ठाकुरगंज प्रखंड के पथरिया पंचायत वार्ड संख्या-05 के समीप प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) फेज-III के अंतर्गत आरसीसी पुल निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। लेकिन इस कार्य में संवेदक द्वारा विभागीय नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक पुल के समीप स्थित नदी से अवैध रूप से मिट्टी और बालू काटकर पहुंच पथ (एप्रोच) का निर्माण करवा रहे हैं, जिससे नदी की धारा अब गांव की ओर कटाव करती जा रही है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद नदी के किनारे से बालू-मिट्टी की कटाई जारी है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन के साथ-साथ जनजीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है।ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते यह कार्य नहीं रोका गया तो नदी की धारा विपरीत दिशा में बहने लगेगी, जिससे आसपास के क्षेत्रों में भयंकर कटाव की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इतना ही नहीं, नवनिर्मित पुल की स्थिरता पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।स्थानीय मुखिया अंजय सिंह सहित ग्रामीणों परमेश्वर साह,मनसूर बैठा, फगनी साह,गौतम यादव,नौशाद रज्जाक,चित्तू सिंह,रेखा देवी, कौशल्या देवी,अनुफा बेगम,अजुमर बेगम,मौकिमा आदि ने एक सुर में प्रशासन से तत्काल बालू-मिट्टी कटाई पर रोक लगाने की मांग की है।ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क पथरिया पंचायत की लाइफलाइन है। अगर यह संपर्क मार्ग कट गया तो हजारों लोगों के लिए अस्पताल, प्रखंड मुख्यालय, थाना और बैंक जैसे जरूरी सेवाओं तक पहुंचना असंभव हो जाएगा।बरसात के मौसम में संकट और भी बढ़ने की आशंका है।इस संबंध में ग्रामीण कार्य प्रमंडल-2 के एसडीओ अरविंद कुमार शर्मा ने दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि संवेदक द्वारा पुल के समीप से मिट्टी और बालू काटना नियम के विरुद्ध है। हमें जैसे ही जानकारी मिली, संबंधित जूनियर इंजीनियर (जेई) स्थल निरीक्षण करने को कहा है। वही प्रभारी सीओ मोहित राज़ ने बताया कि संबंधित पंचायत के कर्मचारी को उक्त स्थल का निरीक्षण करने के लिए निर्देश दिए गया है।ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व संबंधित विभाग से अविलंब हस्तक्षेप कर नंदी से हो रही अवैध कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है ताकि गांव,पुल और पर्यावरण तीनों सुरक्षित रह सकें।

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