जनरेटर भी बना बेकार, गर्मी में तड़प रहे मरीज, डॉक्टर खुले में कर रहे इलाज
जहानाबाद/संतोष कुमार
जहानाबाद जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में गुरुवार सुबह से बिजली आपूर्ति बाधित रहने के कारण मरीजों और चिकित्सकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भीषण गर्मी और उमस के बीच पंखे और लाइट बंद रहने से अस्पताल का माहौल बेहद कष्टप्रद हो गया है। हालात यह हैं कि इमरजेंसी और जनरल वार्ड दोनों में मरीज बेहाल हैं और परिजन खुद हाथों से पंखा झलकर मरीजों की देखभाल करने को मजबूर हैं।
जहानाबाद में बीते कुछ दिनों से लगातार तेज उमस और गर्मी पड़ रही है, जिससे आमजन परेशान है। ऐसे में सदर अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है। मरीजों के लिए लगाए गए जनरेटर से वार्डों में राहत नहीं मिल पा रही है क्योंकि जनरेटर पूरी लोड नहीं उठा पा रहा है। नतीजतन, वार्डों और इमरजेंसी कक्ष में भीषण गर्मी से मरीजों की हालत बिगड़ रही है।
नेताओं ने बताया सरकार को जिम्मेदार
बिजली कटौती की इस गंभीर समस्या को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक जनप्रतिनिधि ने अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में राज्य सरकार को इस स्थिति का जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि सरकार “125 यूनिट मुफ्त बिजली” के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर व्यवस्था बदहाल है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में बिजली नहीं रहने से मरीजों को गंभीर दिक्कतें हो रही हैं और डॉक्टर भी असहज स्थिति में काम कर रहे है
स्टाफ की ईमानदार से अपना काम कर रहे है। और डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ पर कोई भी अपना काम कर रहे है। गर्मी और अंधेरे के बावजूद डॉक्टरों ने पूरी निष्ठा से अपनी ड्यूटी निभाई। चैंबर में गर्मी और अंधेरा होने के कारण कई डॉक्टर खुले में मरीजों को देख रहे हैं, ताकि उन्हें राहत मिल सके। नर्सिंग स्टाफ, वार्ड ब्वॉय और सफाई कर्मी भी मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं, पर संसाधनों की कमी के कारण व्यवस्था चरमरा गई है। मरीज और परिजन परेशान मरीजों के परिजनों ने बताया कि जनरेटर होने के बावजूद उसे समय पर नहीं चलाया गया। कई बुज़ुर्गों और महिलाओं को गर्मी के कारण चक्कर आने और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत हुई है। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से शीघ्र बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग करते हुए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। फिलहाल अस्पताल प्रशासन की ओर से इस पूरे मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस प्रकार की घटना दोबारा न हो, इसके लिए अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए ताकि आपात स्थिति में मरीजों की जान जोखिम में न पड़े।