पूर्णियां/मलय कुमार झा
बाल रंग यात्रा के तहत बिहार किलकारी बाल भवन पटना की 18 सदस्यीय टीम प्रदेश के सभी प्रमंडल में पहुंच कर अपनी नाट्य विधा का प्रदर्शन कर रही है। इसी के तहत पूर्णियां के बाल किलकारी परिसर में पटना के रंग यात्रा की टीम प्रशिक्षक नाट्य निर्देशक अभिषेक कुमार के नेतृत्व में सुप्रसिद्ध नाटक “गोपी गवैया और बाघा बजैया” नाटक का मंचन किया। यह हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण नाटक है। जिसमें गोपी के बेसुरे गायन और बाघा के बगैर तालमेल के वादन को दर्शाया गया है। कुल एक घंटे के इस नाटक में बेजोड़ अभिनय का रंग दिखा। ये प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजीत रे के बांग्ला कहानी पर आधारित नाटक का हिंदी रुपांतरण है। इसमें संवाद , रंगमंच की साज सज्जा और संगीत का समन्वय था। जीवन मूल्यों को रोचक ढंग से प्रस्तुत कर बच्चों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। प्रिंस, रिया, श्रेया, शिवांगी रोशन सहित अन्य कलाकारों ने अपने प्रतिभा से लोगों का दिल जीत लिया। बाल रंग यात्रा का यह आयोजन राज्य स्तर पर बच्चों के बीच कला संस्कृति और संवाद सेतु को मजबूत करने का एक सशक्त माध्यम है। स्काउट और गाइड के रूप में पटना बाल भवन किलकारी के रिसोर्स पर्सन के रूप में सुधीर कुमार शामिल हुए। पटना बाल भवन की नाट्य विधा से जुड़े बच्चों ने जीवंत प्रस्तुति देकर लोगों को खूब गुदगुदाया और हंसाया। प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक त्रिदीप शील ने कहा कि इस रंग यात्रा का उद्देश्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रचनात्मक विकास को बढ़ावा देना है। मुजफ्फरपुर सहरसा के बाद यह तीसरा प्रमंडल है जहां बाल रंग यात्रा की टीम ने कला का रंग बिखेरा। पटना बाल किलकारी के नाट्य विधा के प्रशिक्षक अभिषेक कुमार ने कहा कि इस रंग यात्रा के माध्यम से बच्चों को सीखने का अवसर मिलता है। इससे बच्चों में अभिव्यक्ति नेतृत्व क्षमता और सहयोग की भावना का विकास होता है।