केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वावलंबी और विकसित गांव बनाने के प्रयास का आह्वान करते हुए शुक्रवार को कहा कि लगभग 1500 कलस्टर में लाखों किसानों तक प्राकृतिक खेती को ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
श्री चौहान ने आज यहां स्वदेशी शोध संस्थान के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को लाइन संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ आर्थिक रूप से संपन्नता को समृद्धि नहीं माना जा सकता।
उन्होंने प्रचीन काल के कई उदाहरण देते हुए कहा,“जब पश्चिम के लोग अपने शरीर को पत्तों और छालों से ढ़का करते थे तो हमारे यहां मलमल बन गया था। हमारे ऋषियों ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् यानी सारी दुनिया एक परिवार है।”
श्री चौहान ने कहा कि देश में खाद्यान्न का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा हैं। जलवायु परिवर्तन के खतरों के बावजूद, बढ़ते हुये तापमान और अनिश्चित मौसम के बावजूद भी देश के खाद्यान्न बढ़ाया है। कई देशों को अन्न का निर्यात किया है।दलहन और तिलहन का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा हैं ।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि लगभग 15 सौ कलस्टर में साढ़े सात लाख किसानों तक प्राकृतिक खेती को ले जाने का प्रयास है ताकि ये किसान अपने खेत के एक हिस्से में प्राकृतिक खेती को प्रारम्भ करें।सभी को धरती को भी कीटनाशकों से बचाना होगा। कीटनाशकों के कारण कई पक्षियों का नामोनिशान ही मिट गया है और नदियां भी प्रदूषित हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गांवों को स्वावलंबी और विकसित बनानेके प्रयास करने होंगे। सड़कों का नेटवर्क, गांव में बुनियादी सुविधाएं, पक्का मकान, शुद्ध पीने का पानी, पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, स्थानीय बाजार और गांव के लिए जरुरी चीजें गांव में ही उत्पादित की जानी चाहिए।
- नेहा निगम